Wednesday, May 20, 2009

सुनो मियाँ मुसलमानों!!!

अब तो बहुत खुश होगे तुम!!
मिया जी की जूती जब हिन्दुओं के सर पड़ी तो खुशी की तो बात है।

अमरनाथ पर जिस तरह से तुमने हिन्दुओं को धूल चटाई तो कितना मजा आया था! इंशा (*(*!!
काश्मीर से हिन्दुओं को भगाया, माशा (*(*!!!!
धीरे धीरे बंगाल से भी सारे लोगों लो भगा देना और वहां भी अपना हरा झंडा बुलंद कर देना॥
वैसे भी शाही इमाम ने कहा था, "एक दिन हम इन पर गद्दीनशीन थे, इंशा (*(* एक दिन फ़िर होएँगे॥"

वैसे भी तुम ही तो हो गद्दीनशीन॥ लोकतंत्र (??) में जो पार्टी सबसे छुप कर धर्म और जात की राजनीति खेल रही है, उसका ही युवराज (बपौती है ना) छाती ठोक कर बोल रहा है "जात और धर्म की राजनीति हार गयी॥"
कितनी निराली बात है। दोगलापन हद पर है।
ठीक वैसे ही जैसे आपका॥
हज के लिए तो सरकारी (ज्यादातर हिन्दुओं का दिया टैक्स) चाहिए...
पर अमरनाथ पर (अपने ही देश में) हिन्दुओं के लिए थोड़ी सी भी जमीन नहीं दे सकते।
अरे वोह भी तो धर्म के काम से तीर्थ यात्रा (आपके 'हज' जैसा) करने वालों के लिए थी॥
पर मैं भी बुध्धू हूँ, भूल गया काफिरों के लिए कोई धर्म नहीं और कोई माफी और कोई रियायत नहीं।
हमें इतना भी बता दो... जजिया कब से वसूल करने वाले हो??

और तो और अब कांग्रेस (तुम्हारी जात वाली पार्टी) फ़िर से सत्ता पर बहुमत (??) के साथ है।
फ़िर से ईद का दिन आ गया है।
बकरे कटाओ॥
नहीं... नहीं... काफिरों के अरमानों (और कभी कभी उनको भी) काटो।।
और ईदी बाटों!!!!!!!!!!!!

1 comment:

  1. अपने अन्दर की आग को कुण्ठा का भभका न दो मेरे मित्र . इसे सार्थक वाणी दो . बहुत है सुनने और गुनने वाल्e. एक बार प्रयत्न तो करॊ

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