Tuesday, May 19, 2009

सुनो भाई सिखों!!

सब भूल जाते हैं॥
आप भी भूल गए...

कैसे टायर बाँध के जलाए गए थे?
कैसे केश कटाने पड़े थे?
कैसे डर डर के जीते थे?
सब भूल गए??
कैसे कुछ लोगों की करतूतों की सजा हजारों निर्दोषं को मिली थी॥
मैंने भी अपने बचपन में देखी थी एक झलक॥
मैं नहीं भूला, पर सब और ख़ास कर आप भूल गए!!!!!!!!
तभी तो कांग्रेस दिल्ली और पंजाब और हरियाणा में वापस आ गई!!!

चलो अब खुशियाँ मनाओ॥
हिन्दुओं की लाशों में सिखों को भी मिला दो...
बहुत उंची बनेगी फ़िर तो कांग्रेस की गद्दी!!!
वैसे भी एक समय में हम दोनों की लाशों पर किसी और ने गद्दी सजायी थी..
हाँ तब विदेशी शासन करते थे॥
अब देशी (ह्म्म्म या फ़िर अब भी विदेशी), शासन करते हैं।
और हम अब भी पिसते हैं!!!!!

मनमोहन तो वैसे भी सिख नहीं है॥ होता तो ८४ के दंगाइयों को सजा ना दिला देता???

तो सुनो भाई सिखों...
भांगडा पाओ... गिध्धा डालो॥
कांग्रेस आयी... जश्न मनाओ॥

3 comments:

  1. ये मसला इस समय पुनः बेवजह उठाना-कुछ बात समझ से परे रही.

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  2. पुरानी बातें... सिर्फ पुरानी होने से बेवजह नहीं हो जाती.
    क्या आपकी बातों से समझूं की इतिहास बेकार है और उसे भुला दें?

    बेवजह नहीं, कभी कभी जनता को याद दिलाना होता है की भारतीय कितने भुल्लकड़ हैं जो कातिलों को गद्दीनशीन कर देते हैं.
    वोही लोग जिन्होंने कभी माफी नहीं मांगी सिख दंगों पर, और कोई भी कारवाही नहीं करी दोषियों पर, भाजपा को गुजरात पर घेरते रहते हैं?
    यहे दोगलापन नहीं तो क्या है?

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